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Wednesday, November 17, 2010

विभाग की खामी भुगत रहे सैकड़ों शिक्षक

चंडीगढ़, जागरण ब्यूरो : प्रदेश के शिक्षा विभाग का बजट ऑन लाइन होने से विभागीय अधिकारियों की बड़ी खामी उजागर हुई है। वित्त विभाग ने अपग्रेड हुए स्कूलों के शिक्षकों को यह कहते हुए वेतन देने से साफ इनकार कर दिया कि शिक्षा विभाग की ओर से इसकी कोई स्वीकृति नहीं ली गई है। ये स्कूल चार साल पहले अपग्रेड हुए थे और उन्हें बिना आवश्यक स्वीकृति के छह माह पहले तक वेतन मिल रहा था, लेकिन शिक्षा विभाग के बजट के ऑन लाइन होने के बाद इस लापरवाही का खुलासा होने के बाद राज्य के 411 शिक्षक इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। इन शिक्षकों को पिछले छह माह से वेतन नहीं मिल रहा है। प्राथमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा अपग्रेड स्कूलों के शिक्षकों के वेतन की स्वीकृति वित्त विभाग से नहीं लेने का खुलासा इस वर्ष मार्च में हुआ है। इससे पहले जिला शिक्षा एवं प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों के प्रस्ताव के आधार पर इनके वेतन के लिए बजट आवंटित कर दिया जाता था। इन स्कूलों के शिक्षकों के वेतन का ऑन लाइन बजट जारी करने की बारी आई तो वित्त विभाग को अपनी फाइलों में इसका कोई रिकार्ड हासिल नहीं हुआ। वर्ष 2006-07 में तीन दर्जन से अधिक स्कूलों को प्राइमरी से मिडिल स्कूलों में अपग्रेड किया गया था। विभाग के इस फैसले से इन स्कूलों के 411 शिक्षकों को लाभ पहुंचा था। तस्वीर का दूसरा पहलू यह रहा कि विभागीय अधिकारियों ने इन शिक्षकों के वेतन के बजट संबंधी स्वीकृति वित्त विभाग से नहीं ली। जिला एवं प्राथमिक शिक्षा अधिकारियों के प्रस्ताव के आधार पर ही इन शिक्षकों को वेतन जारी किया जाता रहा है। बजट के आन लाइन होते ही जब इन शिक्षकों का वेतन जारी नहीं हुआ तो अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षकों की जान सांसत में आ गई। प्राथमिक शिक्षा विभाग के रजिस्ट्रार फूलचंद और सर्व शिक्षा अभियान के राज्य समन्वयक मनदीप सिंह बराड़ का कहना है कि अभी तक उनकी जानकारी में यह मामला नहीं आया है, जबकि निदेशक का कहना है कि इस बारे में जल्दी ही कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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